क्रिकेट की दुनिया के सितारे मोहम्मद शमी का संघर्ष 

क्रिकेट की दुनिया के सितारे मोहम्मद शमी का संघर्ष

ऐसे ही कोई आसमान की बुलंदियों में नहीं पहुंच जाता उसके लिए उस व्यक्ति ने कितना संघर्ष किया हम ये भूल जाते है |

मोहम्मद शमी

मोहम्मद शमी शौक से भी आगे होती है जीत यही सफलता तक लेकर जाती है | वे कहते है की  मेरे परिवार का क्रिकेट से कोई लेना देना नहीं था, पापा और उनके दोस्त बगीचे में क्रिकेट कभी-कभी खेल करते थे | मैं देखा था जब दूर चली जाती थी, तब मैं खेलता था घर में सभी फास्ट बॉलर थे, तो मैं भी गेंद की फेक कर देख मेरा भैया पास बॉलर के साथ ही बेहतरीन बल्लेबाज भी थे, पथरी होने के कारण उन्हें खेल छोड़ना पड़ा वह पूछ खेलते थे, उन्होंने मुझे वहां भेजा में लोकल टूर्नामेंट खेलने लगा भैया मुझे टेनिस बॉल से खेलने दे देखते थे |

पहली बार लेदर बॉल

14 साल का था, तब एक टीम के प्लेयर का काम पड़ गए तो भैया मुझे वहां लेकर गए लेदर बॉल से पहली बार खेलने वाला था| मैं घबराया हुआ था और पापा भी उन्होंने भैया को कहा इस बैटिंग मत देना गेंद लग जाएगी भैया ने हमें भरी और मुझे स्कूल से मैच के लिए लेने आए वहां पहुंचते ही मुझे पद पहनने का कह दिया गया मैंने साफ इनकार कर दिया कि मैं बैटिंग नहीं करूंगा इतने में पापा आ गए वह मैच देखने आए थे बोले मैं बैटिंग कामना किया था और तुम इसे अपने ओपन करवा रहे हो जब पहली गेंद मैंने खोली तो वह बेड से टकराकर रॉकेट जैसी गई मैं चौंक गया क्योंकि टेनिस बॉल का ताकत से मारना पड़ता था| इसके बाद मुझे मजा आया 35 गेंद पर 108 रन बनाकर आउट हुआ मैच की 10 ओवर भी नहीं हुए थे |

रड़जी ट्रॉफी

इसके बाद मुझे शौक लगा भैया के साथ खूब खेल गांव में रहता था| स्टेडियम शहर में था 60 किलोमीटर का सफर करके दो बस बादल कर जाता था 15 साल की उम्र में यह सब किया यह मेरी यह मेरी पहली कोचिंग थी यहां मैं खेल की बड़ी क्यों के बारे में जाना कोच को लगा मुझ में नाम है तो उन्होंने मुझे यूपी के ट्रायल के लिए भेजो 2 साल मैंने ट्रायल दिए कुछ नहीं हुआ रणजी ट्रॉफी की टीम बन रही है 1600 लड़कों को वहां तीन दिन में देखा जाना था चीफ सिलेक्टर से भैया ने कहा बच्चे के टैलेंट पर यकीन है सिलेक्ट ने कहा यहां टैलेंट का कोई काम नहीं भैया ने फॉर्म पड़ा और बोला यूपी के लिए नहीं खेलेंगे मुझे जिद्दी की रणजी टीम में खेलना है मैं कोर्ट से बात की उन्होंने कोलकाता जाने को कहा मैं गया कोलकाता में क्लब ने ले लिया लेकिन पैसे देने से मना कर दिया जब सीजन पूरा हुआ तो सीईओ ने मुझे ₹25000 दिए 16 साल की उम्र में यह पहले मेरी कमाई थी जो कुछ कर दिखाने की जिधर से हासिल हुई थी इसके बाद मैं जिसकी साथ कभी नहीं छोड़ा |

मोहम्मद शमी को 2023 में अर्जुन अवार्ड के लिए नामांकित हुआ है |

सबसे बुरा दौर मोहम्मद शमी की जिंदगी का

जिंदगी में बुरे द्वारा आए 2014 की वर्ल्ड कप को घुटने की चोट के बावजूद खेल इसके बाद ऑपरेशन हुआ साल भर तेल से दूर रहा मुझ पर आप लगी डिप्रेशन में गया लेकिन परिवार का साथ मिला तो फिर खेलने आया जीत सिक्योरिटी में रहते हुए मेरा एक्सीडेंट हुआ देहरादून गया प्रैक्टिस शुरू की फिर खेल में वापसी की हर बार वापसी सकारात्मक सोच और जीत की वजह से हुई अपनी मेहनत पर भरोसा है |तो आप हर तरह की हालत से बाहर निकल जाएंगे |

 

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